दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मोतीनगर में एक रोड शो के दौरान लोंगो की भीड़ में जीप में चढ़कर एक युवक ने थप्पड़ जड़ दिया | इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार कर रहे थे, तब एक ऑटो चालक ने उन्हें थप्पड़ जड़ा था। ज्यादातर लोग इस घटना को मजाक के रूप में ले रहे हैं | चूँकि यह घटना अरविन्द केजरीवाल पर हुई है | इसलिए भी लोग गंभीरता से नहीं ले रहे है | मगर यह घटना हंसी मजाक में उड़ाने वाली नहीं है | लोकतंत्र पर और लोकतंत्र को संरक्षित करने वाले संस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह है कि ऐसे अमर्यादित, अव्यहारिक,निंदनीय घटनाओं को रोकने में अक्षम हैं | केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री है यह बात अलग है उनकी विचारधारा और आदत शैली अलग हैं |जन मानस को तथा देश के तमाम पार्टियों को उनके कार्यप्रणाली से रजनीतिक सामाजिक मत भिन्नताएं हो सकती है | ऐसा भी हो सकता है कि हम व्यक्तिगत रूप से केजरीवाल से बेइन्तहा नफरत करते हों , पर इस तरह की शर्मनाक घटना के लिए लोकतंत्र में सर्वत्र निंदा होनी चाहिए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न ही इसकी व्यवस्था भी करनी चाहिए | पिछले कुछ सालों के इतिहास में जाए तो चप्पल जूता स्याही मिर्ची इत्यादि अमर्यादित घटनाएं केजरीवाल जी पर हो चुकी है | जूता काण्ड के शिकार और भी कई नेता हो चुके हैं जिनके नाम का उल्लेख करना उचित नहीं है | अभी हाल ही में बीजेपी हेडक्वार्टर में पार्टी के प्रवक्ता और सांसद पर जूता उछाला गया था पर लगा नहीं था | विरोध करने का यह तरीका अत्यंत बेहूदा और नीचता पूर्ण काम है | आज के जूतामार शक्स किसी के कहने पर जूता कांड को अंजाम दे रहा है तो कल इसी जूतामार के शिकार वह स्वम भी हो सकता है | कई नेता आन रिकार्ड विरोध दर्ज करते हैं पर ऑफ रिकार्ड जायज ठहराते हैं | जूता काण्ड और थप्पड़ काण्ड के पीछे कोई मजबूत संगठन या शक्तिशाली ब्यक्ति का सपोर्ट रहता है |
इस तरह की घटनाएँ व्यक्तिगत रूप से किया गया हो ऐसा नहीं लगता है |
अगर इन घटनायों पर अंकुश नहीं लगा तो यही जूता किसी और नेता और प्रतिनिधि का स्वागत करेगी |(फोटो साभार फ्लिकर.कॉम )
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