निर्भया केस को हुए लगभग 8 साल होने वाले हैं  अदालत से दोषी और फांसी की सजा सुनाने के बाद भी अभी तक दोषियों को फांसी नहीं हुई है | सबको पता है कि इन्होने एक लड़की के साथ अक्षम्य निर्दयता पूर्ण जानबूझकर, मस्ती और उन्मांद में बलात्कार किया था | इन बलात्कारियों की कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद भी, कानून का सहारा लेकर, मौत को और भारत के प्रजातांत्रिक संविधानिक प्रकिया का, मजाक उड़ा रहे हैं | जिन महिलाओं, लड़कियों के साथ ऐसी दुर्घटनाये घटती है, वही जानती है और उनके परिवार के लोग जानते हैं | अभी तक निर्भया की माँ इन्साफ के लिए कोर्ट की चक्कर लगा रही है, न्यायपालिका में भरोसे की बात कहती है, सरकार से मार्मिक अपील कर रही है, कि कम से कम सजा मिलने के बाद तो अभियुक्तों को फांसी मिलनी चाहिए | भारत में यौन अपराध और बलात्कार की घटनाए सामान्य अपराध से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रहे है | महिलाओं के साथ बदसलूकी, बलात्कार, दुनिया के सबसे घृणतम अपराधों की श्रेणी में आता है | इस पर तुरंत कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए | परन्तु दुर्भाग्य से इंतनी संवेदशील विषयों पर राजनीति हो रही है |

रेप इन इंडिया राहुल गाँधी का सत्तापक्ष पर कटाक्ष

बलात्कार, महिला उत्पीडन के मामले में तो सभी महिलाओं को एक साथ आवाज बुलंद करनी चाहिए | दुर्भाग्य से महिला ही महिला की नहीं है राजनीति ने महिला को अपने कंट्रोल में लेकर अवसरवादी बना दिया है | जैसा आपने पिछले दिनों देखा कि कांग्रेस के राहुल गाँधी के बयांन रेप इन इंडिया पर लोकसभा में काफी हंगामा मचा था | जिसमे राहुल गाँधी ने 12 दिसंबर 2019 को झारखण्ड के गोड्डा जिले के चुनावी पब्लिक रैली में लोंगो को संबोधित करते हुए कहा था कि नरेन्द्र मोदी ने कहा था मेक इन इंडिया | अब जहाँ भी देखो “ अब है रेप इन इंडिया ” जहाँ भी देखो हर जगह बलात्कार की खबरे हैं हर प्रदेश में हर रोज रेप इन इंडिया | मोदी जी कहते है बेटी पढाओ बेटी बचाओ आपने यह तो नहीं बताया की बेटी को किससे बचाना है बीजेपी के एम् एल ए से बचाना है | राहुल गाँधी का स्पष्ट इशारा था उत्तरप्रदेश के बीजेपी के पूर्व गृह राज्य मंत्री और तीन बार सांसद रह चुके स्वामी चिन्मयानन्द  बलात्कार के आरोपी  और उन्नाव रेप केस से, | राहुल गाँधी इस बयान के माध्यम से बलात्कार को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करना चाहते थे | उनके भाषण से यही प्रतीत हो रहा है |

महिला सांसद ने लोकसभा में जवाबी व्यक्तव्य में कहा – “आओ हिंदुस्तान में बलात्कार करो ”

उम्मीद थी कि देश के सदन में महिला सुरक्षा और यौन अपराधिक घटनाओं जैसी गंभीर सब्जेक्ट पर कोई सार्थक बहस होगी और भारत में महिला उत्पीडन, बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए कोई समाधान निकालने का प्रयास होगा | लोकसभा में गरमा गरम बहस हो रही थी कि राहुल गाँधी ने महिला का अपमान कर दिया | जो राहुल गाँधी ने कहा ही नहीं था, वह उनके नाम किया जा रहा था कमाल है | राहुल गाँधी ने तो भारत में बलात्कार की बढ़ती घटना पर मोदी सरकार की आलोचना की थी | किसी महिला का अपमान नहीं किया था बल्कि बीजेपी के रेप केस में आरोपित नेताओं की आलोचना की थी | दुर्भाग्य से भारतीय जनता पार्टी के स्मृति ईरानी जी  ने जो स्वयं जागरूक और लोकप्रिय महिला सांसद हैं मोर्चा संभाले हुए थी, राहुल गाँधी के व्यक्तव्य को अपनी स्टाइल में तोड़ मोड़ कर बहस को स्तरहीन और फ़िल्मी बना दिया था | जैसा की आपने पिछली बार देखा था मायावती के सम्बन्ध में उनका रोद्र रूप वाला भाषण, जिसमें स्मृति इरानी गला कटाने की बात कह रही थी , मिडिया ने खूब चलाया था , कुछ तारीफ़ भी हुई थी | उसी तर्ज पर इस बार भी कहने लगी कि राहुल गाँधी ने महिलाओं का अपमान किया है | राहुल गांधी का यह व्यक्तव्य है कि  हिंदुस्तान में हर पुरुष महिलाओं का बलात्कार करना चाहता है, आगे कहती है कि राहुल गाँधी चाहते हैं कि महिलाओं का सार्वजनिक बलात्कार होना चाहिए इससे आगे बढ़कर कहती है कि गांधी खानदान का एक बेटा सरेआम कहता हो कि आओ हिंदुस्तान में बलात्कार करो | यह सब कुछ हो रहा था भारत के संसद भवन में | एक एक शब्दों की रिकॉर्डिंग हो रही थी, लोकसभा टीवी के माध्यम से और पुरे भारत वर्ष में स्मृति इरानी के वाक्य गूंज रहे थे  आओ हिंदुस्तान में बलात्कार करो | स्मृति इरानी के साथ कुछ महिला सांसद भी साथ दे रही थी |

लेकिन मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि ईरानी जी ने इसे अपने मन से कहा हो इन शब्दों का इस्तेमाल किया हो क्योंकि ये बहुत खतरनाक और आपतिजनक शब्द हैं सिर्फ राहुल गाँधी पर काउंटर अटैक करने के लिए, क्योंकि राहुल ने महिला सुरक्षा एवं बलात्कार को मुद्दा बनाया था | इसलिए  एक महिला के ही द्वारा राहुल गाँधी को घेरने का प्रयास किया गया | ऐसे आपतिजनक शब्दों के साथ जिसको बोलने वाला खुद लज्जा से बोल न पाए | कोई भी महिला इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकती है , न केवल भारत वर्ष में बल्कि पुरे विश्व में | राहुल गाँधी ने महिलाओं पर बलात्कार की घटना पर सत्ता पक्ष को चेताने प्रयास किया था | राजनीति में विपक्ष की यही भूमिका होती है | महिलाओं का सार्वजनिक बलात्कार होना चाहिए  ऐसा राहुल गाँधी ने बिलकुल नहीं कहा था, और न उनके बयान से प्रतीत होता है | भारतीय नारी के लिए अपमान जनक शब्द, वह भी एक नारी के मुख से ये राजनीति की विकृत चेहरे को सामने लाता है कि राजनीति में इतना पैसा, पावर है कि नेता इसके लिए देशभक्ति, राष्ट्रहित, चाहे महिला अस्मिता की बात हो सभी को झोंक देना चाहते हैं | ताकि चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित हो सके | पार्टियां आती है जाती हैं, समय एक सा नहीं होता है,लोग बदल जाते हैं | श्रीमती स्मृति ईरानी ने जीवन में काफी संघर्ष किया है और महिला की तकलीफों को भली भांति जानती हैं | भारत की नारी के लिए संसद में बोले गए ये शब्द ईरानी को जीवन भर नहीं छोड़ेंगे इतिहास में स्मृति ईरानी के साथ ये शब्द “ आओ हिंदुस्तान में बलात्कार करो ” भी टैग हो गया हैं |

वर्तमान में बुरे से बुरे, आपत्तिजनक, असंसदीय वाक्य राजनीति में अभी बोले जा रहे हैं | मगर महिला के अस्मिता पर टिप्पणी करने का साहस कोई भारतीय नहीं कर सकता है | जरुर दबाव बनाया गया होगा वरना एक लोकप्रिय टी,वी, कलाकार और प्रखर वक्ता हिंदी और इंग्लिश में धाराप्रवाह बोलने वाली, संघर्षशील महिला सांसद सिर्फ राजनीति और काउंटर अटैक के लिए महिला पर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करती | मुझे अभी भी यकीन नहीं है कि ये शब्द स्मृति ईरानी जी के अपने हैं |

“ रेप केपिटल ” नरेद्र मोदी जी का कांग्रेस पर तंज

भारत में रेप पर बयान तो श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी दिया था | श्री नरेद्र मोदी जी दिल्ली के रैली में लोगों को संबोधित करते हुए उस समय दिल्ली को रेप केपिटल कहा था |

तब नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और प्रधानमंत्री बनने के लिए माहौल तैयार कर रहे थे, महिला सुरक्षा , और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था | उस समय कांग्रेस की सरकार थी इसलिए मोदी जी को दिल्ली को बलात्कार की राजधानी कहने में कोई आपत्ति नहीं थी | दिल्ली में वास्तव में यौन अपराध,महिला उत्पीडन की घटनाएं बढ़ रही थी | कांग्रेसी सरकार को आगाह करने के लिए रेप केपिटल शब्द का प्रयोग किया था | ताकि सरकार इन घटनाओं पर संज्ञान ले सके | क्योंकि 2012 में नई दिल्ली में एक छात्रा पर सामूहिक बलात्कार और एक छात्र की हत्या के बाद से भारत में महिलाओं पर रेप और हिंसा के खिलाफ, बलात्कार की घटना को लेकर आक्रोश और विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर में हुआ था | नरेद्र मोदी जी के शब्द रेप केपिटल पर तबके तत्कालीन सरकार कांग्रेस के किसी नेता और महिला इकाई ने इस बयान पर कोई एतराज नहीं जताया था | चाहते तो कांग्रेसी भी मोदी जी के शब्दों पर आपति कर सकते थे, रेप केपिटल को भारत के महिलाओं के अपमान से जोड़ सकते थे | रेप शब्द को अपने सुविधानुसार उपयोग करके रोड में, शहर में, महिला कार्यकर्त्ता को आगे करके, हंगामा मचा सकते थे | उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया , उन्होंने विवेक का परिचय दिया, क्योंकि महिलाओं पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं का होना, किसी भी सरकार के लिए अच्छी बात नहीं है, शर्म की बात है  | इसीलिए नरेद्र मोदीजी की रेप केपिटल की आलोचना को दुर्भावना के रूप में नहीं लिया गया था | वैसे ही राहुल गाँधी का रेप इन इंडिया का उद्देश्य सरकार को सचेत करना ही था | दुर्भाग्य यह है बीजेपी वाले भारत में उच्च पढ़े लिखे लोगों को भी देशभक्ति राष्ट्रभक्ति पाकिस्तान और मुसलमान हिन्दू जैसे मुद्दों में उलझाने में कामयाब हो चुके हैं | 2019 के चुनाव में जबरदस्त विजय के बाद् उनको पता लग गया है कि हिन्दू मुसलमान और सेना और देशभक्ति का मुद्दा सत्ता प्राप्ति के लिए अचूक शस्त्र हैं | इनका अटूट विश्वास है देश की सुरक्षा से जनता भावनात्मक रूप से जुडी है इसके प्रयोग से अब सत्ता से कोई नहीं हटा सकता है | उनका मनोबल बढ़ गया है अब किसी विपक्षी नेता की नहीं सुनते हैं | विपक्ष के मुख से निकले प्रत्येक अच्छी सुझाव को भी आँख बंद कर विरोध करते हैं | स्मृति ईरानी के द्वारा लोकसभा में राहुल गाँधी का विरोध इस कड़ी का एक नमूना है | मगर अति उत्साह में स्मृति ईरानी के शब्द जरा उलटे पड़ गए और अर्थ का अनर्थ हो गया | अभी तक के प्रधानमंत्रियों की लिस्ट में विपक्षियों पर धारदार शब्दों से कटाक्ष करने में जिसे अंग्रेजी में कहते हैं टोंट मारना श्री नरेद्र मोदी के बराबर कोई भी नहीं है |

नन्हीं अबोध बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिला का बलात्कार् – और भारतीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े

भारत में नारी उत्पीडन, बलात्कार की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है | छोटी छोटी अबोध दुधमुहीं शिशुओं को भी नही छोड़ा जा रहा है | नन्ही जान को रेप का और ऐसी कुकृत्य का कुछ पता नहीं होता है | दुर्भाग्य है इस पर भी राजनीति ? न्याय प्रणाली से बलात्कारियों को कोई भय नहीं हैं | बलात्कार जान बुझकर और जूनून में किया जाने वाला अपराध है, प्रकृति के खिलाफ है, लगातार इन घटनाओं में इजाफा हो रही है | निर्भया केस के दोषी क़ानूनी लूप होल का सहारा लेकर न्यायप्रणाली का मजाक बनाये हुए हैं | भुग्तभोगी जानते हैं, रेप के दंश से कितनी पीड़ा होती है | हमारे देश का अजीबोगरीब सिस्टम है कि पीडिता स्वयं ख़त्म हो जाती है और दोषी अपराध करके भी कानून के सामने ही, कानून के सहारे जिन्दा रहते हैं, सजा मिलने के बाद भी | मुसीबत ये हैं प्रजातांत्रिक देश होने के बावजूद आप न्यायिक प्रणाली की खामियों का समीक्षा भी नहीं कर सकते हैं | क्योंकि कंटेम्प्ट (contempt of court) ऑफ़ कोर्ट का भय बना रहता है |

अगर यौन अपराध की बात करें, भारत सरकार की राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की रिकार्ड के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध  2015 में 329243, 2016 में 338954, 2017 में 359849, वर्ष 2018-19 में 378277 है | विशेष रूप से बलात्कार के मामले में रिपोर्ट दर्ज हुए हैं उसके अनुसार 2015 में 34651, 2016 में 38947,  2017 में 32559 और 2018-19 में 33356 हैं | इन आंकड़ों से पता चलता है कि लगातार महिलाओं के उत्पीडन की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है | राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो में बहुत से यौन अपराधों की एंट्री नहीं हो पाते हैं |

3 साल की बच्ची से लेकर 60 साल की बुजुर्ग महिला तक को नहीं छोड़ रहे हैं बलात्कारी | भारत में आप जानते हैं सर्वप्रथम तो थाने में रिपोर्ट लिखाना बहुत कठिन काम है | पीड़ित को बलात्कार के बाद पुलिस वाले कार्यवाही के नाम पर जुबान के द्वारा इतना अपमानित करते हैं , मध्यम और गरीब परिवार के लोग तो रिपोर्ट कराते ही नहीं हैं | इस वजह से यौन अपराध करने वालों को बल मिलता है | अगर किसी ने हिम्मत करके या मजबूरी में रिपोर्ट लिखा भी लिया तो सब कुछ साबित होने के बाद निर्भया केस की तरह वर्षों से अदालत के चक्कर लगाना है, दूसरी परेशानी है |

विदेशियों के नजर में भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल

एक एजेंसी है एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार देंखे तो भारत में, वर्ष 2001 और वर्ष 2011 के बीच, नाबालिक बलात्कार के कुल 48.338 मामले की रिपोर्टिंग की गयी थी | रिपोर्टिंग के अनुसार  यौन अपराध में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है |

ऐसे ही 2017 में, डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया कि 2 से 17 वर्ष की आयु के बीच कोरोड़ नाबालिगों ने शारीरिक, भावनात्मक या यौन हिंसा को सहन किया है। मतलब सहते रहते हैं किसी से कुछ नहीं कहते |

BBC.com के अनुसार दिनांक 25 फ़रवरी 2018 में प्रकाशित खबर

Is India really the most dangerous country for women? ( क्या भारत वास्तव में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश है ? )

इस खबर में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को आधार बनाया गया था | थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में भारत को अफगानिस्तान, सीरिया और सऊदी अरब से आगे, महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देश के रूप में स्थान ( रैंकिंग ) दिया गया है। इस सर्वेक्षण में 548 विशेषज्ञों की राय ली गयी थी जैसे की healthcare , discrimination , cultural traditions, sexual and non-sexual violence and human trafficking  (स्वास्थ्य देखभाल, भेदभाव, सांस्कृतिक परंपराओं, यौन और गैर-यौन हिंसा ) बिन्दुओं पर आधार बनाए गए थे |

मैं थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन सर्वेक्षण को पूर्णतया सत्य नहीं मानता हूँ और न कोई भी भारतीय मानेगा | क्योंकि यह सर्वेक्षण परसेप्शन ( धारणा ) पर आधारित है | लेकिन हमारे देश का नाम खतरनाक देश के रूप में नामित होना भी अच्छी बात नहीं है, यह एक संकेत हैं | बलात्कार के मामले में अब राजनीति से ऊपर उठकर ही कुछ किया जाना चाहिए | महिलाओं को महिला के आत्मसम्मान और अस्मिता के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सिर्फ और सिर्फ इस अपराध के रोकथाम के लिए संगठित हो कर ठोस कदम लेने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा |

राजनीतिक पार्टी से सहयोग ले सकते हैं मगर कोई भी राजनीतिक दल, जिनका मूल स्वभाव सत्ता प्राप्ति होता है (पार्टी की सिद्धान्तिक उद्देश्य पर हम नहीं जाते हैं) | पार्टियाँ किसी भी मुद्दे को नुक्सान और फायदे के हिसाब से आंकलन करती हैं और उसी के अनुरूप सहयोग प्रदान करती हैं | हमने देखा है कि जब वे विपक्ष में होते हैं तब उनका रवैया अलग होता है और सत्ता मिलते ही बिलकुल बदल जाता है | रेप इन केपिटल वाले मोदी जी और उनकी पार्टी को अभी के विपक्ष के रेप इन इंडिया से परेशानी हो रही है | इसे अवसरवादी राजनीति कहते हैं | भारतीय जनता पार्टी महिलाओं के प्रति कितनी सजग और संवेदनशील है, श्रीमती स्मृति ईरानी के लोकसभा के विरोध से झलकता है | मुझे लगता है बीजेपी के जितने भी कार्य या योजनाये हैं सभी देशभक्ति या धार्मिकता से जुडी विषयों पर केन्द्रित है, रोजगार या बुनियादी जरूरतों पर उनका ध्यान नहीं है | पब्लिक भी देशभक्ति और धार्मिक भावना को ज्यादा पसंद करती हुई दिखाई देती है बुनियादी समस्याएँ जरुरी होते हुए भी मुद्दा नहीं बन पाए हैं, अभी की स्थिति में बीजेपी सबसे संगठित और पावरफुल पार्टी है फिर भी जनहित से जुडी समस्याओं की समीक्षाओं पर आक्रामक दिखाई देती है | क्योंकि बेरोजगारी, मंहगाई, बैंकों के घोटाले तथा बैंक की गिरती हुई शाख जैसी बुनियादी विषयों पर जवाब देने के लिए बीजेपी पास कुछ नहीं है | महिलाओं पर रेप जैसी जघन्य अपराध रेप इन इंडिया के बयान को भी बीजेपी ने महिला के द्वारा ही विपक्ष को पटकने का प्रयास किया था | मगर अति उत्साह में महिला सांसद ने महिला का ही अपमान कर दिया | भारतीय नारी को ही यौन अपराधियों  की सख्त सजा हेतु स्वयं एकजुट होना पड़ेगा | किसी भी राजनीतिक दल से उम्मीद नहीं करनी चाहिए | इस मुहीम में हर तबके के महिलाओं को जोड़ना पड़ेगा और सरकार और न्याय व्यवस्था को मजबूर करना पड़ेगा तभी बलात्कारियों पर अंकुश लग पायेगा |( फोटो,क्लिप साभार  पिक्साबेय, लोकसभा टीवी )

पूरी विडियो क्लिप के लिए यू टयूब ( YouTube ) में देखें गोष्ठीमंथन का महिला यौन उत्पीड़न पर समीक्षा –

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बलभद्र श्रीवास ब्लॉगर गोष्ठीमंथन goshtheemanthan.com

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